Lekhika Ranchi

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लोककथा संग्रह 2

लोककथ़ाएँ


एक अनोखा न्याय: इराकी लोक-कथा

बगदाद के खलीफा के महल में अली हसन नाम का एक नौकर था। खाते पीते घर से होने पर भी वह गरीब की तरह रहता था। वह और उसकी पत्नी फातिमा अशरफी इकट्ठे करने में जुटे रहते थे। और उन्हें दिन-रात गिनते रहते थे। धीरे-धीरे हसन और भी लालची हो गया।

वह खाने पीने की चीजें भी मुफ्त चाहने लगा। एक दिन उसने अपनी बीवी फातिमा से कहा। "तुम बाजार वालों को यह बताओ की मुझे जेल खाने में बंद कर दिया गया है। और इस बहाने खाने पीने का सामान मुफ्त हथिया लो। अली हसन के अनुसार फातिमा ने ऐसा ही किया। थोड़े दिन बाद बाजार वालों ने सामान देना बंद कर दिया।

तब अली हसन बोला। अब रिश्तेदारों के पास जाकर खाने पीने का सामान ले आओ। इसी प्रकार कुछ दिन बाद रिश्तेदारों ने भी अपना हाथ पीछे खींच लिया। हसन को बहुत क्रोध आया। उस दिन वह खलीफा के घर से एक याकूत चुरा कर ले आया। अब उसे चोरी की भी लत लग गई। वह रोज एक जवाहर चुरा के लाता और अपने घर में इकट्ठा करने लगा। जब उसके पास बहुत से जवाहरात इकट्ठटे हो गए। तब वह अपनी बीवी से बोला।

इन जवाहरातों को बेचकर हमें अशरफियां इकट्ठी कर लेनी चाहिएं। और फिर बगदाद छोड़कर किसी और शहर में बस जाना चाहिए। उसकी बीवी ने कहा लाओ कुछ जवाहरात मैं आज बाजार में बेच दूं। जब वह बाजार पहुंची तो जौहरी ने खलीफा के जवारात पहचान लिए। और उन्हें खलीफा के यहां पहुंचा दिया।

अली हसन और उसकी बीवी को गिरफ्तार करके खलीफा के सामने लाया गया। सारी कहानी सुनकर खलीफा बोला, "दुकानदारों से झूठ बोलकर सामान लेने पर तुम्हें भारी जुर्माना देना होगा। रिश्तेदारों को ठगने पर तुम्हें कोड़े लगाए जाएंगे। और महल में चोरी करने पर सजा ए मौत दी जाएगी।"

यह सुनकर वह दोनों रोने और गिड़गिड़ाने लगे। तब दयालु खलीफा ने कहा। अच्छा महल के जवाहरात तो वापस लिए जाएंगे। पर तुम अपनी अशर्फियों की थैलियां गले में लटका कर वापस जा सकते हो।

उसी दिन खलीफा ने पूरे बगदाद में मनादी करवा दी कि जो कोई भी हसन को अशर्फी के एवज में कुछ भी सामान उसे देगा। उसे फांसी दे दी जाएगी।

अली हसन और उसकी बीवी अजीब मुसीबत में फंस गए। उन्होंने खलीफा से माफी मांगी तो खलीफा ने हुकुम दिया। इसकी एक थैली उस दुकानदार को दे दो। जिसने इनको उधार दिया। दूसरी थैली रिश्तेदारों को दे दो जिन्होंने इनको धन दिया। और अब इसे फिर से महल में नौकरी देदो। फिर खलीफा अली हसन से बोला, "याद रखो ! जमा किया हुआ सोना मौत का कारण बनता है।"

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साभारः लोककथाओं से।

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